कविता – जवाब देना होगा ।

एक अजीब सी ख्वाईश थी कभी। बुलंदियों का आसमान छूने की ।। आज भी आसमान छूने की ख्वाईश है । पर अब आसमान छूने की वजह है नई ।। अब आसमान छूने की ख्वाईश हैं। क्योंकि सवाल बहुत पूछने है तुझसे।। मेरे गमो के सवालों का जवाब देना है तुझको । तुझे लोगो ने खुदा … Continue reading कविता – जवाब देना होगा ।